Friday, December 28, 2018

न्यूयॉर्क में रात को आसमान चमकदार नीला होने से हैरत में पड़े लोग, ट्रांसफॉर्मर में हुआ था धमाका

क्वींस के एक पावर प्लांट में गुरुवार रात को धमाका होने की वजह से न्यूयॉर्क का आसमान रात को कुछ देर के लिए चमकदार नीला हो गया। इस घटना से शहर के कई लोग हैरान रह गए। कुछ लोगों ने इसे एलियन से जोड़ा तो कुछ ने आस्था से जोड़कर देखा। धमाका इतना तेज था कि क्वींस, मैनहट्टन, न्यू जर्सी की कुछ बिल्डिंग में झटके महसूस किए गए। लोग घर से बाहर निकलकर सड़कों पर आ गए।

अफसरों ने बताया कि कॉन एडिसन पावर प्लांट में शॉट सर्किट की वजह से ट्रांसफॉर्मर में आग लग गई, जिससे धमाका हुआ और तेजी से आसमान की तरफ धुआं और लपटें निकलीं। एक अफसर ने बताया कि घुआं और आग ने आसमान में चमकदार प्रकाश पैदा किया, जिसे न्यूयॉर्क के अलावा कई शहरों में देखा गया।

धमाके की वजह से न्यूयॉर्क के आसपास बिजली गुल हो गई। क्वींस और न्यूयॉर्क में लोग सड़कों पर निकल आए। इस दौरान लोगों ने आसमान के वीडियो और फोटो सोशल मीडिया पर शेयर किए और इसकी वजह का पता लगाने की कोशिश करने लगे।

मुझे लगा दुनिया खत्म हो गई
क्वींस के एस्टोरिआ इलाके के रहने वाले तारिक खरीफी ने बताया, "कुछ देर के लिए मैं हैरान रह गया। मुझे लगा कि दुनिया खत्म होने वाली है।"
क्वींस के बर्कलिस कनारिस ने कहा कि बिजली जाना आम बात है, लेकिन आसमान में तेज नीला प्रकाश था। मुझे यह हैरान कर रहा था।
एक और व्यक्ति ने बताया कि मुझे लगा कि एलियन धरती पर आए हैं और यह तेज लाइट उनकी वजह से है।
चार साल के एक लड़के ने बताया कि नीला प्रकाश देखकर लगा कि यूएफओ आ रहा है। मुझे लगा मैं उसे देख पाऊंगा।
प्लांट के प्रवक्ता बॉब मैकगी ने बताया कि उपकरणों में खराबी की वजह से हुआ। इस घटना में किसी तरह का नुकसान नहीं है। आग पर काबू पा लिया गया है।

अनुपम ने कहा- विरोध से प्रचार ही होगा
फिल्म पर लोगों की आपत्ति को लेकर अनुपम खेर से सवाल किया गया तो उन्होंने कहा, ‘‘जितना वे विरोध करेंगे, फिल्म को उतना ही प्रचारित करेंगे। इस विषय पर किताब 2014 में ही आ गई थी तब कोई विरोध-प्रदर्शन नहीं किया गया।’’

उन्होंने कहा, ‘‘जलियांवाला बाग या होलोकास्ट (द्वितीय विश्वयुद्ध के वक्त जर्मनी में हुआ नरसंहार) की घटना पर फिल्म बनाई जाए तो उसमें तथ्यों को नहीं बदला जा सकता।’’

महाराष्ट्र यूथ कांग्रेस की आपत्ति पर खेर ने कहा, ‘‘हाल ही में राहुल गांधी जी का ट्वीट पढ़ा था, जिसमें उन्होंने अभिव्यक्ति की आजादी पर बोला था। ऐसे में मेरा मानना है कि उन्हें उन लोगों को डांटना चाहिए कि आप लाेग गलत काम कर रहे हो।’’

अनुपम ने यह भी कहा, ‘‘उनके (कांग्रेस) नेता पर फिल्म बनी है, उन्हें खुश होना चाहिए। आपको भीड़ लेकर भेजनी चाहिए फिल्म देखने के लिए, क्योंकि डायलॉग हैं उसमें। जैसे कि- मैं देश को बेचूंगा? जिससे लगता है कि कितने महान हैं मनमोहन सिंह जी’’

Thursday, December 6, 2018

कार्बनडाइऑक्साइड उत्सर्जन के मामले में दुनिया में चौथे पायदान पर भारत

कार्बनडाइऑक्साइड उत्सर्जन के मामले में भारत दुनिया में चौथे नंबर है। ग्लोबल कार्बन प्रोजेक्ट के मुताबिक- 2017 में कार्बन उत्सर्जित करने वाले टॉप-4 देश चीन (27%), अमेरिका (15%), यूरोपीय यूनियन (10%) और भारत (7%) हैं। कार्बनडाइऑक्साइड उत्सर्जन में चार देशों की 59% और बाकी देशों की हिस्सेदारी 41% रही।

कार्बन उत्सर्जन भारत की ग्रोथ दिखाता है
अध्ययन के मुताबिक- 2018 में भारत की 6.3% ग्रोथ रही। कोयले में 7.1%, तेल में 2.9% और गैस के क्षेत्र में 6.0% का उछाल देखा गया। 2017 में भारत में उत्सर्जन में 2% की वृद्धि अनुमािनत थी। क्योंकि सरकार ने अर्थव्यवस्था सुधारने के लिए कई कदम उठाए थे।

भारत में पिछले दशक में उत्सर्जन की औसत दर 6% रही थी। आर्थिक सुधारों को देखते हुए माना जा रहा है कि अगले साल भारत की विकास दर 8% का आंकड़ा छू सकती है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत और चीन में अभी भी कोयला ऊर्जा और अर्थव्यवस्था का मुख्य हिस्सा बना हुआ है। कोयले की जगह सोलर और विंड एनर्जी पर निर्भरता लाना यहां चुनौतीपूर्ण होगा।

3 देश कर रहे 40% उत्सर्जन
चीन, भारत और यूरोपियन यूनियन मिलकर दुनिया का 40% से ज्यादा कार्बन उत्सर्जन कर रहे हैं। वहीं, एशिया के 5 देशों सऊदी अरब, ईरान, तुर्की, इराक और दक्षिण कोरिया ने पिछले दशक के मुकाबले ज्यादा ग्रोथ दिखाई।

शोध में यह भी कहा गया है कि दुनिया के सभी देशों ने पेरिस समझौते की शर्तों को मजबूती से लागू करने की प्रतिबद्धता दिखाई है। भारत-चीन जहां कोयले का काफी इस्तेमाल कर रहे हैं, वहीं अमेरिका और यूरोपीय यूनियन ने कोयले की खपत में कमी की है।

सोलर फॉर्मों की तरफ बढ़ रहा भारत
अध्ययन में कहा गया- कोयले पर निर्भरता कम करने के लिए इंटरनेशनल सोलर अलायंस का गठन किया गया। भारत भी सोलर फॉर्मों की तरफ बढ़ रहा है। कार्बन उत्सर्जन कम करने के लिए भारत 2020 तक कोयला मुक्त ऊर्जा की रणनीति का ऐलान कर सकता है।

Monday, November 26, 2018

वसुंधरा के क़रीबी सुनील अरोड़ा होंगे नए मुख्य चुनाव आयुक्त

दिल्ली से छपने वाले कई अख़बारों ने सुनील अरोड़ा के नए मुख्य चुनाव आयुक्त नियुक्त बनाए जाने की ख़बर को पहले पन्ने पर जगह दी है.

इंडियन एक्सप्रेस की ख़बर के मुताबिक़, सुनील अरोड़ा दो दिसंबर को मौजूदा मुख्य चुनाव आयुक्त ओपी रावत की जगह लेंगे जो एक दिसंबर को सेवानिवृत्त होने वाले हैं. सुनील अरोड़ा के नेतृत्व में ही 2019 लोकसभा चुनाव होंगे.

सुनील अरोड़ा 1980 बैच के राजस्थान कैडर के आईएसए अधिकारी हैं और कई अहम विभागों में रह चुके हैं. इनमें स्किल डेवलपमेंट सेक्रेटरी और सूचना प्रसारण मंत्रालय के अहम पद पर रहना शामिल है.

अरोड़ा वित्त, कपड़ा और नीति आयोग में भी सेवाएं दे चुके हैं. वो इंडियन एयरलाइंस के सीएमडी पद पर भी पांच साल रहे हैं.

माना जाता है कि सुनील अरोड़ा राजस्थान की मौजूदा मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के भरोसेमंद हैं. वो साल 2005 से 2009 के बीच राजे की मुख्य सचिव भी रह चुके हैं.

मोदी बोले- 26/11 भूलेंगे नहीं
जनसत्ता में छपी एक ख़बर के मुताबिक़, 26/11 हमले के 10 साल पूरे होने पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, "हिंदुस्तान न 26/11 हमले को भूलेगा और न ही उसके गुनहगारों को. हम मौक़े की तलाश में हैं. क़ानून अपना काम करता रहेगा."

राजस्थान के भीलवाड़ा की एक चुनावी रैली में मोदी ने कहा, "जब मुंबई में हमला हुआ, तब कांग्रेस राजस्थान में चुनाव जीतने का खेल खेल रही थी. लेकिन जब मेरे देश की सेना ने पाकिस्तान के घर में घुसकर सर्जिकल स्ट्राइक की तो कांग्रेस ने सवाल उठाया कि वीडियो दिखाओ."

मोदी ने कहा, "कांग्रेस के नेता सेना के जवानों को मौत के घाट उतारने वाले माओवादियों को क्रांतिकारी होने की सनद दे रहे हैं. हमने माओवाद को उसी की भाषा में जवाब दिया है. लोकतंत्र में हिंसा का कोई स्थान नहीं होगा."

देश पर दया करो और इंजीनियर मत बनो'
अमर उजाला अख़बार ने बीटेक के चार साल और चार साल के अतिरिक्त वक़्त के बावजूद 17 बार कंपार्टमेंट पाने वाले छात्र को फटकार लगाने की ख़बर को पहले पन्ने पर जगह दी है.

अख़बार के मुताबिक़, एनआईटी कुरुक्षेत्र में बीटेक के 2009 बैच के छात्र ने 17 कंपार्टमेंट पास करने के लिए दया के आधार पर मौक़ा दिए जाने की अपील की है. इस अपील पर हाईकोर्ट ने छात्र को जमकर फटकार लगाई है.

अख़बार के मुताबिक़ कोर्ट ने कहा, "हमसे दया की अपील मत करो. बस देश पर दया करो और इंजीनियर मत बनो. ऐसे इंजीनियरिंग की डिग्री ले भी ली तो जिस इमारत में तार बिछाओगे, वहां आग लगना तय है."

छात्र का कहना है कि वो निजी कारणों से कंपार्टमेंट क्लीयर नहीं कर पाया था. इस पर कोर्ट ने छात्र से कहा, "आप इस कोर्ट पर दया करें और वक़्त ख़राब न करें."

Tuesday, November 13, 2018

फाइनेंस सेक्टर में साइबर हमले 3 गुना बढ़े, बैंकों को हर साल 1.50 लाख करोड़ रु. का नुकसान

साइबर हमलों से निपटने के मामले में भारतीय बैंकों का सुरक्षा सिस्टम पुख्ता नहीं है। बैंकिंग सिस्टम में सेंधमारी कर बड़ी रकम साफ करने के तीन बड़े मामले इसी साल सामने आ चुके हैं। इनमें यूनियन बैंक, सिटी यूनियन बैंक, कॉसमॉस बैंक के बाद स्टेट बैंक ऑफ मॉरिशस का मामला भी जुड़ गया। इन सभी बैंकों से हैकर्स ने कुल 1518 करोड़ रुपए उड़ा लिए। इस रकम का बड़ा हिस्सा रिकवर हो गया। फिर भी बैंकों को नुकसान उठाना पड़ा।

पीडब्ल्यूसी और एसोचैम की एक रिपोर्ट के मुताबिक साइबर हमलों और फ्रॉड की वजह से बड़े बैंकों को सालाना 20 अरब डॉलर यानी 1.50 लाख करोड़ रुपए का नुकसान उठाना पड़ता है। दुनिया के फाइनेंस सेक्टर में बीते पांच साल में साइबर हमले 3 गुना तक बढ़े हैं।

विदेशी बैंकों का साइबर सुरक्षा पर खर्च 10%, भारतीय बैंकों का सिर्फ 4%
देश में बड़े बैंक अपने इंफॉर्मेशन और टेक्नोलॉजी (आईटी) बजट का 4 फीसदी हिस्सा साइबर सुरक्षा पर खर्च करते हैं। वहीं, अमेरिका और यूरोप के बैंक अपने आईटी बजट का 6 से 10 फीसदी हिस्सा साइबर सेफ्टी और हैकिंग की चुनौतियों से निपटने की रणनीति बनाने और समाधान खोजने पर खर्च करते हैं।

कंसल्टिंग फर्म डेलॉय के मुंजल कामदर के मुताबिक साइबर क्राइम के मामले सालाना 10 से 12 फीसदी की दर से बढ़े हैं। इन मामलों में भी बैंकिंग, फाइनेंस और इंश्योरेंस सेक्टर के मामले सबसे ज्यादा हैं। बैंकिंग सेक्टर में सबसे बड़ा खतरा छोटे बैंकों को है। देश में करीब 2000 छोटे बैंक हैं। इनमें को-ऑपरेटिव, डिस्ट्रिक्ट सेंट्रल को-ऑपरेटिव बैंक, क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक और स्मॉल फाइनेंस बैंक शामिल हैं। ज्यादातर बैंकों के पास मजबूत साइबर सुरक्षा तंत्र की कमी है।

स्विफ्ट सिस्टम पर बढ़े हमले
बीते तीन साल में भारत समेत दुनिया में बैंकों के स्विफ्ट सिस्टम को हैक कर बैंकों के डॉलर अकाउंट से पैसा उड़ाने के मामले बढ़े हैं। स्विफ्ट (सोसायटी फॉर वर्ल्ड वाइड इंटरबैंक फाइनेंशियल टेलिकम्यूनिकेशन) सिस्टम एक देश के बैंक को दुनिया के बैंकों से जोड़ता है। इसी के जरिए बैंकों के बीच अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पैसा ट्रांसफर होता है। एक साल में भारत के चार बैंकों के स्विफ्ट सिस्टम में सेंध लगाकर हैकर्स ने 1518 करोड़ रुपए साफ कर दिए।

साल में 3 गुना बढ़े फाइनेंस सेक्टर में साइबर हमले
डेटा प्रोटेक्शन और सिक्योरिटी रिसर्च के मामले के प्रमुख संस्थान पोनेमॉन रिसर्च इंस्टीट्यूट और एक्सेंचर की एक रिपोर्ट के मुताबिक दुनियाभर में फाइनेंस सेक्टर में साइबर अटैक के केस पिछले 5 साल में 3 गुना तक बढ़े हैं। 2012 में प्रति कंपनी ऐसे मामलों की संख्या 40 थी, जो 2017 तक 125 पर पहुंच गई। इन हमलों में होने वाला वित्तीय नुकसान 40 फीसदी तक बढ़ा है। रिपोर्ट के मुताबिक 2014 में साइबर हमलों की वजह से दुनियाभर में फाइनेंस सेक्टर में प्रति कंपनी सालाना नुकसान का आंकड़ा 96 करोड़ रुपए था, जो 2017 में बढ़कर 135 करोड़ रुपए पर पहुंच गया। वहीं बाकी सेक्टरों में नुकसान की यही दर 86 करोड़ रुपए है।

60% से ज्यादा साइबर अटैक के पीछे कंपनी से जुड़े लोग
टेक्नोलॉजी कंपनी आईबीएम की एक रिपोर्ट के मुताबिक साइबर फ्रॉड के 60 फीसदी से ज्यादा मामलों में इनसाइडर की प्रमुख भूमिका होती है। इनसाइडर से मतलब उन लोगों से है जो सीधे या फिर किसी भी तरह से उस फर्म से जुड़े होते हैं। इनमें कंपनी के कर्मचारी, थर्ड पार्टी काॅन्ट्रैक्टर या फिर बिजनेस पार्टनर भी शामिल होते हैं। हालांकि ज्यादातर मामलों में ऐसे लोगों की प्रत्यक्ष भूमिका नहीं होती