क्वींस के एक पावर प्लांट में गुरुवार रात को धमाका होने की वजह से न्यूयॉर्क का आसमान रात को कुछ देर के लिए चमकदार नीला हो गया। इस घटना से शहर के कई लोग हैरान रह गए। कुछ लोगों ने इसे एलियन से जोड़ा तो कुछ ने आस्था से जोड़कर देखा। धमाका इतना तेज था कि क्वींस, मैनहट्टन, न्यू जर्सी की कुछ बिल्डिंग में झटके महसूस किए गए। लोग घर से बाहर निकलकर सड़कों पर आ गए।
अफसरों ने बताया कि कॉन एडिसन पावर प्लांट में शॉट सर्किट की वजह से ट्रांसफॉर्मर में आग लग गई, जिससे धमाका हुआ और तेजी से आसमान की तरफ धुआं और लपटें निकलीं। एक अफसर ने बताया कि घुआं और आग ने आसमान में चमकदार प्रकाश पैदा किया, जिसे न्यूयॉर्क के अलावा कई शहरों में देखा गया।
धमाके की वजह से न्यूयॉर्क के आसपास बिजली गुल हो गई। क्वींस और न्यूयॉर्क में लोग सड़कों पर निकल आए। इस दौरान लोगों ने आसमान के वीडियो और फोटो सोशल मीडिया पर शेयर किए और इसकी वजह का पता लगाने की कोशिश करने लगे।
मुझे लगा दुनिया खत्म हो गई
क्वींस के एस्टोरिआ इलाके के रहने वाले तारिक खरीफी ने बताया, "कुछ देर के लिए मैं हैरान रह गया। मुझे लगा कि दुनिया खत्म होने वाली है।"
क्वींस के बर्कलिस कनारिस ने कहा कि बिजली जाना आम बात है, लेकिन आसमान में तेज नीला प्रकाश था। मुझे यह हैरान कर रहा था।
एक और व्यक्ति ने बताया कि मुझे लगा कि एलियन धरती पर आए हैं और यह तेज लाइट उनकी वजह से है।
चार साल के एक लड़के ने बताया कि नीला प्रकाश देखकर लगा कि यूएफओ आ रहा है। मुझे लगा मैं उसे देख पाऊंगा।
प्लांट के प्रवक्ता बॉब मैकगी ने बताया कि उपकरणों में खराबी की वजह से हुआ। इस घटना में किसी तरह का नुकसान नहीं है। आग पर काबू पा लिया गया है।
अनुपम ने कहा- विरोध से प्रचार ही होगा
फिल्म पर लोगों की आपत्ति को लेकर अनुपम खेर से सवाल किया गया तो उन्होंने कहा, ‘‘जितना वे विरोध करेंगे, फिल्म को उतना ही प्रचारित करेंगे। इस विषय पर किताब 2014 में ही आ गई थी तब कोई विरोध-प्रदर्शन नहीं किया गया।’’
उन्होंने कहा, ‘‘जलियांवाला बाग या होलोकास्ट (द्वितीय विश्वयुद्ध के वक्त जर्मनी में हुआ नरसंहार) की घटना पर फिल्म बनाई जाए तो उसमें तथ्यों को नहीं बदला जा सकता।’’
महाराष्ट्र यूथ कांग्रेस की आपत्ति पर खेर ने कहा, ‘‘हाल ही में राहुल गांधी जी का ट्वीट पढ़ा था, जिसमें उन्होंने अभिव्यक्ति की आजादी पर बोला था। ऐसे में मेरा मानना है कि उन्हें उन लोगों को डांटना चाहिए कि आप लाेग गलत काम कर रहे हो।’’
अनुपम ने यह भी कहा, ‘‘उनके (कांग्रेस) नेता पर फिल्म बनी है, उन्हें खुश होना चाहिए। आपको भीड़ लेकर भेजनी चाहिए फिल्म देखने के लिए, क्योंकि डायलॉग हैं उसमें। जैसे कि- मैं देश को बेचूंगा? जिससे लगता है कि कितने महान हैं मनमोहन सिंह जी’’
Friday, December 28, 2018
Thursday, December 6, 2018
कार्बनडाइऑक्साइड उत्सर्जन के मामले में दुनिया में चौथे पायदान पर भारत
कार्बनडाइऑक्साइड उत्सर्जन के मामले में भारत दुनिया में चौथे नंबर है। ग्लोबल कार्बन प्रोजेक्ट के मुताबिक- 2017 में कार्बन उत्सर्जित करने वाले टॉप-4 देश चीन (27%), अमेरिका (15%), यूरोपीय यूनियन (10%) और भारत (7%) हैं। कार्बनडाइऑक्साइड उत्सर्जन में चार देशों की 59% और बाकी देशों की हिस्सेदारी 41% रही।
कार्बन उत्सर्जन भारत की ग्रोथ दिखाता है
अध्ययन के मुताबिक- 2018 में भारत की 6.3% ग्रोथ रही। कोयले में 7.1%, तेल में 2.9% और गैस के क्षेत्र में 6.0% का उछाल देखा गया। 2017 में भारत में उत्सर्जन में 2% की वृद्धि अनुमािनत थी। क्योंकि सरकार ने अर्थव्यवस्था सुधारने के लिए कई कदम उठाए थे।
भारत में पिछले दशक में उत्सर्जन की औसत दर 6% रही थी। आर्थिक सुधारों को देखते हुए माना जा रहा है कि अगले साल भारत की विकास दर 8% का आंकड़ा छू सकती है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत और चीन में अभी भी कोयला ऊर्जा और अर्थव्यवस्था का मुख्य हिस्सा बना हुआ है। कोयले की जगह सोलर और विंड एनर्जी पर निर्भरता लाना यहां चुनौतीपूर्ण होगा।
3 देश कर रहे 40% उत्सर्जन
चीन, भारत और यूरोपियन यूनियन मिलकर दुनिया का 40% से ज्यादा कार्बन उत्सर्जन कर रहे हैं। वहीं, एशिया के 5 देशों सऊदी अरब, ईरान, तुर्की, इराक और दक्षिण कोरिया ने पिछले दशक के मुकाबले ज्यादा ग्रोथ दिखाई।
शोध में यह भी कहा गया है कि दुनिया के सभी देशों ने पेरिस समझौते की शर्तों को मजबूती से लागू करने की प्रतिबद्धता दिखाई है। भारत-चीन जहां कोयले का काफी इस्तेमाल कर रहे हैं, वहीं अमेरिका और यूरोपीय यूनियन ने कोयले की खपत में कमी की है।
सोलर फॉर्मों की तरफ बढ़ रहा भारत
अध्ययन में कहा गया- कोयले पर निर्भरता कम करने के लिए इंटरनेशनल सोलर अलायंस का गठन किया गया। भारत भी सोलर फॉर्मों की तरफ बढ़ रहा है। कार्बन उत्सर्जन कम करने के लिए भारत 2020 तक कोयला मुक्त ऊर्जा की रणनीति का ऐलान कर सकता है।
कार्बन उत्सर्जन भारत की ग्रोथ दिखाता है
अध्ययन के मुताबिक- 2018 में भारत की 6.3% ग्रोथ रही। कोयले में 7.1%, तेल में 2.9% और गैस के क्षेत्र में 6.0% का उछाल देखा गया। 2017 में भारत में उत्सर्जन में 2% की वृद्धि अनुमािनत थी। क्योंकि सरकार ने अर्थव्यवस्था सुधारने के लिए कई कदम उठाए थे।
भारत में पिछले दशक में उत्सर्जन की औसत दर 6% रही थी। आर्थिक सुधारों को देखते हुए माना जा रहा है कि अगले साल भारत की विकास दर 8% का आंकड़ा छू सकती है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत और चीन में अभी भी कोयला ऊर्जा और अर्थव्यवस्था का मुख्य हिस्सा बना हुआ है। कोयले की जगह सोलर और विंड एनर्जी पर निर्भरता लाना यहां चुनौतीपूर्ण होगा।
3 देश कर रहे 40% उत्सर्जन
चीन, भारत और यूरोपियन यूनियन मिलकर दुनिया का 40% से ज्यादा कार्बन उत्सर्जन कर रहे हैं। वहीं, एशिया के 5 देशों सऊदी अरब, ईरान, तुर्की, इराक और दक्षिण कोरिया ने पिछले दशक के मुकाबले ज्यादा ग्रोथ दिखाई।
शोध में यह भी कहा गया है कि दुनिया के सभी देशों ने पेरिस समझौते की शर्तों को मजबूती से लागू करने की प्रतिबद्धता दिखाई है। भारत-चीन जहां कोयले का काफी इस्तेमाल कर रहे हैं, वहीं अमेरिका और यूरोपीय यूनियन ने कोयले की खपत में कमी की है।
सोलर फॉर्मों की तरफ बढ़ रहा भारत
अध्ययन में कहा गया- कोयले पर निर्भरता कम करने के लिए इंटरनेशनल सोलर अलायंस का गठन किया गया। भारत भी सोलर फॉर्मों की तरफ बढ़ रहा है। कार्बन उत्सर्जन कम करने के लिए भारत 2020 तक कोयला मुक्त ऊर्जा की रणनीति का ऐलान कर सकता है।
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