कार्बनडाइऑक्साइड उत्सर्जन के मामले में भारत दुनिया में चौथे नंबर है। ग्लोबल कार्बन प्रोजेक्ट के मुताबिक- 2017 में कार्बन उत्सर्जित करने वाले टॉप-4 देश चीन (27%), अमेरिका (15%), यूरोपीय यूनियन (10%) और भारत (7%) हैं। कार्बनडाइऑक्साइड उत्सर्जन में चार देशों की 59% और बाकी देशों की हिस्सेदारी 41% रही।
कार्बन उत्सर्जन भारत की ग्रोथ दिखाता है
अध्ययन के मुताबिक- 2018 में भारत की 6.3% ग्रोथ रही। कोयले में 7.1%, तेल में 2.9% और गैस के क्षेत्र में 6.0% का उछाल देखा गया। 2017 में भारत में उत्सर्जन में 2% की वृद्धि अनुमािनत थी। क्योंकि सरकार ने अर्थव्यवस्था सुधारने के लिए कई कदम उठाए थे।
भारत में पिछले दशक में उत्सर्जन की औसत दर 6% रही थी। आर्थिक सुधारों को देखते हुए माना जा रहा है कि अगले साल भारत की विकास दर 8% का आंकड़ा छू सकती है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत और चीन में अभी भी कोयला ऊर्जा और अर्थव्यवस्था का मुख्य हिस्सा बना हुआ है। कोयले की जगह सोलर और विंड एनर्जी पर निर्भरता लाना यहां चुनौतीपूर्ण होगा।
3 देश कर रहे 40% उत्सर्जन
चीन, भारत और यूरोपियन यूनियन मिलकर दुनिया का 40% से ज्यादा कार्बन उत्सर्जन कर रहे हैं। वहीं, एशिया के 5 देशों सऊदी अरब, ईरान, तुर्की, इराक और दक्षिण कोरिया ने पिछले दशक के मुकाबले ज्यादा ग्रोथ दिखाई।
शोध में यह भी कहा गया है कि दुनिया के सभी देशों ने पेरिस समझौते की शर्तों को मजबूती से लागू करने की प्रतिबद्धता दिखाई है। भारत-चीन जहां कोयले का काफी इस्तेमाल कर रहे हैं, वहीं अमेरिका और यूरोपीय यूनियन ने कोयले की खपत में कमी की है।
सोलर फॉर्मों की तरफ बढ़ रहा भारत
अध्ययन में कहा गया- कोयले पर निर्भरता कम करने के लिए इंटरनेशनल सोलर अलायंस का गठन किया गया। भारत भी सोलर फॉर्मों की तरफ बढ़ रहा है। कार्बन उत्सर्जन कम करने के लिए भारत 2020 तक कोयला मुक्त ऊर्जा की रणनीति का ऐलान कर सकता है।
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