साइबर हमलों से निपटने के मामले में भारतीय बैंकों का सुरक्षा सिस्टम पुख्ता नहीं है। बैंकिंग सिस्टम में सेंधमारी कर बड़ी रकम साफ करने के तीन बड़े मामले इसी साल सामने आ चुके हैं। इनमें यूनियन बैंक, सिटी यूनियन बैंक, कॉसमॉस बैंक के बाद स्टेट बैंक ऑफ मॉरिशस का मामला भी जुड़ गया। इन सभी बैंकों से हैकर्स ने कुल 1518 करोड़ रुपए उड़ा लिए। इस रकम का बड़ा हिस्सा रिकवर हो गया। फिर भी बैंकों को नुकसान उठाना पड़ा।
पीडब्ल्यूसी और एसोचैम की एक रिपोर्ट के मुताबिक साइबर हमलों और फ्रॉड की वजह से बड़े बैंकों को सालाना 20 अरब डॉलर यानी 1.50 लाख करोड़ रुपए का नुकसान उठाना पड़ता है। दुनिया के फाइनेंस सेक्टर में बीते पांच साल में साइबर हमले 3 गुना तक बढ़े हैं।
विदेशी बैंकों का साइबर सुरक्षा पर खर्च 10%, भारतीय बैंकों का सिर्फ 4%
देश में बड़े बैंक अपने इंफॉर्मेशन और टेक्नोलॉजी (आईटी) बजट का 4 फीसदी हिस्सा साइबर सुरक्षा पर खर्च करते हैं। वहीं, अमेरिका और यूरोप के बैंक अपने आईटी बजट का 6 से 10 फीसदी हिस्सा साइबर सेफ्टी और हैकिंग की चुनौतियों से निपटने की रणनीति बनाने और समाधान खोजने पर खर्च करते हैं।
कंसल्टिंग फर्म डेलॉय के मुंजल कामदर के मुताबिक साइबर क्राइम के मामले सालाना 10 से 12 फीसदी की दर से बढ़े हैं। इन मामलों में भी बैंकिंग, फाइनेंस और इंश्योरेंस सेक्टर के मामले सबसे ज्यादा हैं। बैंकिंग सेक्टर में सबसे बड़ा खतरा छोटे बैंकों को है। देश में करीब 2000 छोटे बैंक हैं। इनमें को-ऑपरेटिव, डिस्ट्रिक्ट सेंट्रल को-ऑपरेटिव बैंक, क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक और स्मॉल फाइनेंस बैंक शामिल हैं। ज्यादातर बैंकों के पास मजबूत साइबर सुरक्षा तंत्र की कमी है।
स्विफ्ट सिस्टम पर बढ़े हमले
बीते तीन साल में भारत समेत दुनिया में बैंकों के स्विफ्ट सिस्टम को हैक कर बैंकों के डॉलर अकाउंट से पैसा उड़ाने के मामले बढ़े हैं। स्विफ्ट (सोसायटी फॉर वर्ल्ड वाइड इंटरबैंक फाइनेंशियल टेलिकम्यूनिकेशन) सिस्टम एक देश के बैंक को दुनिया के बैंकों से जोड़ता है। इसी के जरिए बैंकों के बीच अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पैसा ट्रांसफर होता है। एक साल में भारत के चार बैंकों के स्विफ्ट सिस्टम में सेंध लगाकर हैकर्स ने 1518 करोड़ रुपए साफ कर दिए।
साल में 3 गुना बढ़े फाइनेंस सेक्टर में साइबर हमले
डेटा प्रोटेक्शन और सिक्योरिटी रिसर्च के मामले के प्रमुख संस्थान पोनेमॉन रिसर्च इंस्टीट्यूट और एक्सेंचर की एक रिपोर्ट के मुताबिक दुनियाभर में फाइनेंस सेक्टर में साइबर अटैक के केस पिछले 5 साल में 3 गुना तक बढ़े हैं। 2012 में प्रति कंपनी ऐसे मामलों की संख्या 40 थी, जो 2017 तक 125 पर पहुंच गई। इन हमलों में होने वाला वित्तीय नुकसान 40 फीसदी तक बढ़ा है। रिपोर्ट के मुताबिक 2014 में साइबर हमलों की वजह से दुनियाभर में फाइनेंस सेक्टर में प्रति कंपनी सालाना नुकसान का आंकड़ा 96 करोड़ रुपए था, जो 2017 में बढ़कर 135 करोड़ रुपए पर पहुंच गया। वहीं बाकी सेक्टरों में नुकसान की यही दर 86 करोड़ रुपए है।
60% से ज्यादा साइबर अटैक के पीछे कंपनी से जुड़े लोग
टेक्नोलॉजी कंपनी आईबीएम की एक रिपोर्ट के मुताबिक साइबर फ्रॉड के 60 फीसदी से ज्यादा मामलों में इनसाइडर की प्रमुख भूमिका होती है। इनसाइडर से मतलब उन लोगों से है जो सीधे या फिर किसी भी तरह से उस फर्म से जुड़े होते हैं। इनमें कंपनी के कर्मचारी, थर्ड पार्टी काॅन्ट्रैक्टर या फिर बिजनेस पार्टनर भी शामिल होते हैं। हालांकि ज्यादातर मामलों में ऐसे लोगों की प्रत्यक्ष भूमिका नहीं होती
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