Thursday, January 17, 2019

मेलबर्न में भारत ने जीता टॉस, गेंदबाज़ी चुनी

मेलबर्न में भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच तीन मैच की वनडे सीरीज़ का आख़िरी मैच में बारिश के चलते खेल बाधित हुआ है.

इससे पहले भारत ने पहले टॉस जीतकर गेंदबाज़ी का फ़ैसला किया है.

मैच का लाइव स्कोर कार्ड यहां देख सकते हैं.

मेलबर्न वनडे के लिए टीम इंडिया इस तरह से है- विराट कोहली, रोहित शर्मा, शिखर धवन, दिनेश कार्तिक, केदार जाधव, एमएस धोनी, रवींद्र जडेजा, भुवनेश्‍वर कुमार, मोहम्‍मद शमी और युजवेंद्र चहल.

वहीं , ऑस्ट्रेलिया की ओर से मैदान में कप्‍तान एरॉन फिंच, एलेक्‍स कैरी, उस्‍मान ख्‍वाजा, शॉन मार्श, पीटर हैंड्सकोंब, मार्कस स्‍टोइनिस, ग्‍लेन मैक्‍सवेल, जे. रिचर्डसन, पीटर सिडल, एडम जाम्‍पा और बिली स्‍टेनलेक शामिल हैं.

इससे पहले भारत ने एडिलेड में खेले गए दूसरे वनडे मैच में मेज़बान ऑस्ट्रेलिया को छह विकेट से हराकर तीन मैचों की सिरीज़ में 1-1 की बराबरी हासिल की है. ऐसे में ये मैच सिरीज़ के लिए निर्णायक साबित होगा.

एडिलेड में कप्तान विराट कोहली के बल्ले से निकले 104 रनों ने जीत में अहम भूमिका निभाई. यह एक दिवसीय क्रिकेट में उनका 39वां शतक था. पहले मैच में उनके बल्ले से केवल तीन रन निकले थे.

इससे पहले सिरीज़ के पहले वनडे मुक़ाबले में रोहित शर्मा के शतक के बाद भी टीम इंडिया को हार का सामना करना पड़ा था.

मैंने अपने भाई के घर से चाबियां चुराईं और दुकान पर जाकर उनके जैसी नक़ली चाबियां बनवा लीं. जब घरवाले सो रहे थे तो मैंने चुपके से घर से निकलकर ये सब काम किया.

ये बहुत जोख़िम भरा था क्योंकि अगर मैं पकड़ी जाती तो मेरे साथ बहुत बुरा हो सकता था.

अब मेरे पास चाबियां थीं तो मैंने अपना और बहन का पासपोर्ट निकाल लिया और जब मेरे पिता सो रहे थे तो उनका फोन ले लिया.

इसके ज़रिए मैंने गृह मंत्रालय की वेबसाइट पर उनके अकाउंट में लॉगइन किया और उनके पंजीकृत नंबर को बदलकर अपना नंबर डाल दिया.

एक रात जब सब लोग सो रहे थे तो हम दोनों किसी तरह भाग गए. उस वक़्त हम दोनों बहुत तनाव में थे.

हम ड्राइव नहीं कर सकते थे इसलिए हमने टैक्सी मंगवाई. अच्छी बात ये थी सभी टैक्सी ड्राइवर विदेशों से हैं इसलिए उन्हें हमें अकेले जाता देख हैरानी नहीं हुई.

हम रियाद के पास किंग ख़ालिद इंटरनेशनल एयरपोर्ट के लिए निकले. उस वक़्त अगर किसी को भी पता चल जाता कि हम क्या कर रहे हैं तो हमारी हत्या तक हो सकती थी.

जब मैं कॉलेज के आख़िरी साल में थी तब से मैं एक अस्पताल में काम कर रही हूं. मैंने इतने पैसे इकट्ठे कर लिए थे कि जर्मनी के लिए एक हवाई जहाज़ की टिकट और एक ट्रांज़िट वीज़ा ख़रीद सकूं. मेरे पास बेरोज़गारी भत्ते के भी पैसे थे.

मैंने अपनी बहन के साथ जर्मनी की फ्लाइट ली. वह पहली बार था जब मैं हवाई जहाज़ में बैठी थी. वो एक ग़ज़ब का अनुभव था. मैं ख़ुश थी, डरी हुई थी बल्कि मैं सबकुछ एक साथ महसूस कर रही थी.

जब मेरे पिता को पता चला कि हम दोनों ने घर छोड़ दिया है तो उन्होंने पुलिस बुलाई लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी.

और जैसे कि मैंने गृह मंत्रालय की वेबसाइट पर उनका फोन नंबर बदल दिया था तो जब अधिकारी उन्हें फोन करते तो वो मेरे पास आता था.

जब हम जर्मनी में उतरे तो मुझे पुलिस की तरफ़ से एक मैसेज भी आया जो दरअसल मेरे पिता के लिए था.

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